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Dainik Vishwamitra

शुक्रवार १० मई २०२४

श्रमिक हड़ताल से औद्योगिक गतिविधियां हुई प्रभावित



नई दिल्ली। केंद्र सरकार की कथित जनविरोधी, मजदूर विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ गुरुवार को देश भर के मजदूर संगठनों की हडताल में धरने , प्रदर्शन तथा रैलियों का आयोजन किया गया जिसके कारण बंगाल समेत कई स्थानों पर औद्योगिक गतिविधियों पर असर पड़ा। मजदूर संगठनों के समर्थन में किसान संगठन सड़कों पर उतर गए और जगह जगह सरकारी मशीनरी के साथ खींचातानी होती रही। हाल ही में लागू किए गए कृषि संबंधित इन कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तथा अन्य राज्यों के किसान "दिल्ली चलो" नारे के साथ दो दिन के विरोध प्रदर्शन पर है।
प्राप्त रिपाेर्टाें के अनुसार हड़ताल के कारण बैंकिंग, बीमा, खनन और अन्य विनिर्माण गतिविधियां लगभग ठप रही। झारखंड छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों की कोयला खदानों तथा अन्य खदानों में कामकाज नहीं हुआ। बैंकों के कर्मचारी भी हड़ताल पर रहे और बीमा कर्मचारियों ने भी हड़ताल में हिस्सा लिया। एक अनुमान के अनुसार हड़ताल में 25 करोड से अधिक कर्मचारियों ने भाग लिया।
वाम समर्थित 10 केंद्रीय मजदूर संगठनों के आह्वान पर आयोजित इस हड़ताल में भारतीय जनता पार्टी समर्थक भारतीय मजदूर संघ शामिल नही हुआ क्योंकि मजदूर संघ ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है। मजदूरों की हड़ताल में बैंक कर्मचारी भी शामिल रहे तथा विभिन्न सरकारी, निजी और कुछ विदेशी बैंकों के चार लाख कर्मचारियों ने केंद्रीय मजदूर संगठनों की इस एकदिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल में भाग लिया।
दस केंद्रीय मजदूर संगठनों में ‘इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल है. इसके अलावा अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने भी हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की है। कुछ स्वतंत्र फेडरेशन व संगठन भी हडताल में शामिल रही। (एजेंसी)


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