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Dainik Vishwamitra

शुक्रवार १० मई २०२४

गीता का ज्यादा से ज्यादा भाषाओं में अनुवाद करने की जरूरत: नायडू




नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने श्रीमद भगवद्गीता का अधिक से अधिक भाषाओं में अनुवाद करने पर बल देते हुए कहा है कि मानसिक तनाव ‘आधुनिक समय में एक व्यापक समस्या’ बन रहा है और इस गंभीर स्वास्थ्य मुद्दे पर अधिक जागरूक होने और ध्यान देने की जरूरत है।
श्री नायडू ने शनिवार को पांचवें वैश्विक श्रीभगवद गीता सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि पूरी मानवता के लाभ के लिए भगवद गीता के सार्वभौमिक संदेश को अधिक से अधिक भाषाओं में अनुवाद करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानसिक तनाव ‘आधुनिक समय में एक व्यापक समस्या’ बन रहा है और इस गंभीर स्वास्थ्य मुद्दे पर अधिक जागरूक होने और ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भले ही भगवद गीता हजारों साल पुरानी है, लेकिन इसका कालातीत संदेश लोगों के लिए प्रासंगिक है और उन्हें मानसिक शांति प्रदान करने में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों की व्यापकता के बावजूद, भारत में जागरूकता कम है और इससे जुड़े कई कलंक हैं। लोगों की मानसिक भलाई पर महामारी के अतिरिक्त प्रभाव को देखते हुए उन्होंने कहा, किसी भी चीज़ से अधिक, हमें मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में सार्वजनिक बातचीत करने के लिए तैयार रहना चाहिए।” उन्होंने सभी क्षेत्रों की लोकप्रिय हस्तियों से इस महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे पर लोगों के बीच बात करने और जागरूकता बढ़ाने काे कहा।
उपराष्ट्रपति ने पढ़ाई के दबाव के कारण उत्पन्न तनाव का सामना करने में असमर्थ छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने छात्रों को परामर्श देने में माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला।
श्री नायडू ने सुझाव दिया कि प्रत्येक शिक्षण संस्थान में छात्रों को तनावपूर्ण स्थितियों से उबरने में मदद करने के लिए ‘इन-हाउस काउंसलर’ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर जगह सरकारों को इस आवश्यकता का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।
श्री नायडू ने लोगों की जीवन शैली में सुधार और लोगों की भलाई के लिए कार्य-जीवन संतुलन सुनिश्चित करने को कहा तथा तनाव से निपटने के लिए ध्यान, व्यायाम, योग जैसे उपायों का सुझाव देते हुए मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में आध्यात्मिकता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “ मेरा दृढ़ विश्वास है कि किसी की आंतरिक शक्ति और मानसिक शांति की खोज के लिए आध्यात्मिकता आवश्यक है। इस संबंध में मैं धर्मगुरुओं से आग्रह करता हूं कि वे आध्यात्मिकता के संदेश को युवाओं और जनता तक ले जाएं।”


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