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Dainik Vishwamitra

शुक्रवार १० मई २०२४

कॉलर वाली बाघिन, विराट घोड़ा, एक सींग का गैंडा हमारे प्रकृति प्रेम के अनूठे उदाहरण : मोदी



नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा है कि मध्य प्रदेश के टाइगर अभयारण्य में कॉलर वाली बाघिन का अंतिम संस्कार, राष्ट्रपति भवन के विराट घोड़े का सम्मान और असम में एक सींग वाले गैंडे के संरक्षण के लिए लोगों के एकजुट होने का प्रयास बताता है कि प्रकृति का संरक्षण हमारी सुदृढ़ परंपरा का हिस्सा है और हम उसे आज भी उसी शिद्दत के साथ आगे बढ़ा रहे हैं।
श्री मोदी ने रेडियो पर रविवार को प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति से प्रेम और हर जीव के लिए करुणा हमारी संस्कृति भी है और सहज स्वभाव भी है। इन्ही संस्कारों की झलक अभी हाल ही में तब दिखी जब मध्यप्रदेश में कॉलर वाली बाघिन की मृत्यु ने लोगों को इभावुक कर दिया। वन विभाग ने इसे कॉलर वाली बाघिन नाम दिया था। लोगों ने बाकायदा उसका अंतिम संस्कार किया और उसे पूरे सम्मान और स्नेह के साथ विदाई दी। कॉलर वाली बाघिन ने अपने जीवनकाल में 29 शावकों को जन्म दिया और 25 को पाल-पोसकर बड़ा बनाया। जब उसने दुनिया छोड़ी तो लोगो ने उसे भावुक विदाई भी दी।
उन्होंने कहा कि ऐसा ही एक दृश्य हमें इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में भी देखने को मिला जब राष्ट्रपति के गुड दस्ते के चार्जर घोड़े विराट ने गणतंत्र दिवस कि अपनी आख़िरी परेड में हिस्सा लिया। घोड़ा विराट 2003 में राष्ट्रपति भवन आया था और हर बार गणतंत्र दिवस पर कमांडेंट चार्जर के तौर पर परेड मे सबसे आगे रहता था। जब किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का राष्ट्रपति भवन में स्वागत होता था, तब भी, व ह अपनी य भूमिका निभाता था। इस वर्ष आर्मी दे पर विराट को सेना प्रमुख द्वारा काओस कमांडेंट कार्ड भी दिया गया। विराट की विराट सेवाओं को देखते हुए, उसकी सेवा-निवृत्ति के बाद उतने ही भव्य तरीक़े से उसे विदाई दी गई।
श्री मोदी ने इस संबंध मे असम का ज़िक्र किया और बताया कि एक सींग वाला गैंडा हमेशा असमिया संस्कृति का हिस्सा रहा है। भारत रत्न भूपेन हज़ारिका का एक गीत है जिसमे कहा गया है, काजीरंगा का हरा-भरा परिवेश, हाथी और बाघ का निवास, एक सींग वाले गैंडे को पृथ्वी देखे, पक्षियों का मधुर कलरव सुने। असम की संस्कृति में जिस गैंडे की इतनी बड़ी महिमा है उसे भी संकटों का सामना करना पड़ता था। वर्ष 2013 में 37 और 2014 में 32 गैंडों को तस्करों ने मार डाला था। इस चुनौती से निपटने के लिए पिछले सात वर्षों में असम सरकार के विशेष प्रयासों से गैंडों के शिकार के खिलाफ एक बहुत बड़ा अभियान चलाया गया। पिछले 22 सितम्बर को विश्व गैंडा दिवस मौके पर तस्करों से जब्त किये गए 2400 से ज्यादा सींगों को जला दिया गया था। यह तस्करों के लिए एक सख्त सन्देश था। ऐसे ही प्रयासों का नतीजा है कि अब असम में गैंडों के शिकार में लगातार कमी आ रही है। जहाँ 2013 में 37 गैंडे मारे गए थे, वहीं 2020 में दो और 2021 में सिर्फ एक गैंडे के शिकार का मामला सामने आया है।
उन्होंने कहा,“मैं गैंडों को बचाने के लिए असम के लोगों के संकल्प की सरहाना करता हूं।”


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