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Dainik Vishwamitra

शुक्रवार १० मई २०२४

उत्तरी सीमा पर भारत पूरी तरह तैयार है: जनरल नरवणे




नयी दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने बुधवार को कहा कि उत्तरी सीमा पर चीन के साथ स्थिति ‘स्थिर और नियंत्रण’ में है और वहां किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी तैयारी है।
सेना दिवस से पहले यहां वीडियाे कांफ्रेस के जरिए संवाददाता सम्मेलन में सेना प्रमुख ने कहा, “यदि आप पिछले साल जनवरी की बात याद करते हैं तो हम कह सकते हैं, हमारी उत्तरी और पश्चिमी सीमा पर हालात सुधरे हैं।”
उन्होंने कहा, “उत्तरी सीमा पर स्थिति ‘स्थिर और नियंत्रण’ में है। .....उत्तरी सीमा पर हम किसी भी स्थिति से निपटने की
पूरी तैयार रखे हुए हैं साथ ही चीन के साथ बातचीत के जरिए मुद्दों को हल करने का प्रयास चल रहा है।”
उन्होंने चीन के साथ आज शुरू हुई सैन्य कमांडर स्तर की 14वें दौर की वार्ता के बारे में कहा कि सुबह दोनों पक्षों ने अपने अपने प्रारंभिक बयान दे दिए थे, उसके बाद विस्तृत बातचीत चल रही थी। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि बातचीत से समाधान निकलेगा।
सेनाध्यक्ष ने कहा, “आप यह नहीं उम्मीद कर सकते कि प्रत्येक दौर की बात चीत में एक न एक समाधान जरूर निकलेगा। ”
पिछली वार्ताओं में पूर्वी लद्दाख के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 ,17 और पैंगगाँग त्सो के उत्तरी तथा दक्षिणी छोरों पर तकरार के मुद्दों का समाधान आखिर निकला ही है।
उन्होंने कहा कि लद्दाख क्षेत्र में भारत की सेनाएं अभी मोर्चे पर जमी हुई हैं। चीन की सेना पीएलए ने भी वहां पक्की गारद बना ली है। सेनाओं के पीछे हटने और उन्हें समेट कर ले जाने की संभावना के बार में उन्होंने कहा कि अब यह बहुत बाद की बाद है। पहले टकराव वाले बिंदुओं से पीछे हटने पर सहमति बनेगी, मोर्चा बंदी हटेगी तो उसके बाद हीं सेना को अपने क्षेत्र में अंदर लौटाने की बात आएगी।
जनरल ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि हम बातचीत से मुद्दों का समाधान कर लेंगे। पर लड़ाई छिड़ने (न छिड़ने) के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। लड़ाई आखिरी विकल्प होता है, पर यदि लड़ाई छिड़ ही गयी तो हम विजयी होकर लौटेंगे।”
जनरल नरवणे ने कहा कि चीन ने उत्तरी क्षेत्र में अपने बुनियादी ढांचा का काफी विकास कर लिया है, पर भारत भी सीमा तक सड़क पुल और सुरंग बनाने में पीछे नहीं है। उन्होंने कहा,“ सेना आज उत्तरी सीमा पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पहले से अधिक अच्छी तरह तैयारी में है। ”
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की सुरक्षा की स्थिति में भी सुधार हुआ है। सेना के क्वांटम लैब और कंप्यूटरीकृत सतर्कता की पहल के बारे में एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी सेना की मजबूती के लिए भविष्य की प्रौद्योगिकी बहुत महत्वपूर्ण है।
जनरल नरवणे ने भरोसा दिलाया कि ड्रोन युद्ध में भारत प्रतिद्वंदी पर भारी पड़ेगा। चीन और भारत के बीच मई 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प के बाद से तनाव बना हुआ है। उसके बाद से एलएसी पर देपसांग, पैंगाँग झील, गोगरा हिल्स तथा हाट स्प्रिंग इलाकों में दोनों देशों की सेनाएं बिल्कुल आमने सामने खड़ी हैं। मसला सुलझाने के लिए सैन्य कमांडरों के स्तर की 13 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। कुछ इलाकों में तनाव बना हुआ है।


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