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Dainik Vishwamitra

शुक्रवार १० मई २०२४

नयी डिजीटल तकनीक लोकतांत्रिक, मानवीय मूल्यों पर केन्द्रित हो : मोदी


नयी डिजीटल तकनीक लोकतांत्रिक, मानवीय मूल्यों पर केन्द्रित हो : मोदी 

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व में डिजीटल जगत में हो रही क्रांति में लोकतांत्रिक मूल्यों की अनिवार्यता पर बल देते हुए कहा कि भारत में डिजीटलीकरण के माध्यम से शासन, समावेशन, सशक्तीकरण, कनेक्टिविटी एवं लाभों के हस्तांतरण एवं कल्याणकारी पहल में जबरदस्त बदलाव आ रहे हैं।
श्री मोदी ने प्रथम सिडनी डॉयलॉग में मुख्य वक्तव्य में साइबर विश्व के विषय पर बोलते हुए आगाह किया कि भविष्य की तकनीक को लेकर दुनिया के तमाम लोकतांत्रिक देशों को मानवीय मूल्यों का ध्यान रखना होगा और तकनीक के दुरुपयोग की संभावना से युवा पीढ़ी को बचाना होगा।
उन्होंने कहा कि सिडनी डॉयलॉग में उन्हें निमंत्रित करना ना केवल भारत के लिए सम्मान की बात है बल्कि यह हिन्द प्रशांत क्षेत्र तथा उभरते डिजीटल जगत में भारत की केन्द्रीय भूमिका को मान्यता देना है। उन्होंने कहा कि डिजीटल जगत में हमारे इर्दगिर्द हर चीज़ बदल रही है। इसने राजनीति, अर्थव्यवस्था एवं समाज को पुनर्परिभाषित किया है तथा संप्रभुता, शासन, नैतिकता, कानून, अधिकारों एवं सुरक्षा को लेकर नये सवाल खड़े किये हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा, शक्ति एवं नेतृत्व को भी नये सिरे से आकार दिया है।
प्रधानमंत्री ने भारत में डिजीटल तकनीक के कारण पांच महत्वपूर्ण बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि हम विश्व का सर्वाधिक विस्तृत जनसूचना अवसंरचना बना रहे हैं। 1.3 अरब भारतीयों के पास एक डिजीटल पहचान है। हम छह लाख गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने वाले हैं। दूसरा- हम डिजीटल तकनीक के माध्यम से शासन, समावेशन, सशक्तीकरण, कनेक्टिविटी तथा लाभों एवं कल्याणकारी पहल के हस्तांतरण से लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रहे हैं। तीसरा - भारत में विश्व का तीसरा सबसे तेजी से बढ़ता स्टार्ट अप ईको सिस्टम है। हर सप्ताह नये-नये यूनीकॉर्न्स आ रहे हैं और वे स्वास्थ्य एवं शिक्षा से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा तक हर क्षेत्र में समाधान मुहैया करा रहे हैं। चौथा - भारत का उद्योग एवं सेवा क्षेत्रों खासकर कृषि क्षेत्र में बहुत व्यापक बदलाव हो रहे हैं। हम स्वच्छ ऊर्जा, संसाधनों एवं जैवविविधता के संरक्षण में डिजीटल तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। पांचवा - भारत को भविष्य के लिए तैयार करने के वास्ते बहुत बड़े स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। हम 5जी एवं 6जी जैसी टेलीकॉम तकनीक में स्वदेशी क्षमता विकसित करने के लिए निवेश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) एवं मशीन से सीखने के क्षेत्र में काम करने वाले अग्रणी देशों में से एक है जो एआई का मानव केन्द्रित एवं नैतिक उपयोग पर काम कर रहा है। हम क्लाउड प्लेटफॉर्म्स एवं कम्प्यूटिंग में मजबूत क्षमताओं को विकसित कर रहे हैं। यही हमारी डिजीटल संप्रभुता एवं टिकाऊ बने रहने का मंत्र है। हम क्वांटम कम्प्यूटिंग में विश्वस्तरीय क्षमताएं विकसित कर रहे हैं। हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम हमारी अर्थव्यवस्था एवं सुरक्षा का एक अहम हिस्सा है। इस क्षेत्र को निजी निवेश एवं नवान्वेषण के लिए मुक्त कर दिया गया है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत पहले से ही विश्व के कारपोरेट जगत को साइबर सुरक्षा समाधान एवं सेवाएं देने का प्रमुख केन्द्र है। हमने भारत काे साइबर सुरक्षा के लिए एक वैश्विक हब बनाने के लिए हमारे उद्योगों के साथ एक कार्यबल गठित किया है। आज तकनीक का सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद डाटा है। भारत में हमने डाटा संरक्षण, निजत एवं सुरक्षा के लिए एक जबरदस्त फ्रेमवर्क तैयार किया है। इसी समय हम डाटा का उपयोग लोगों के सशक्तीकरण के लिए कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत को ये सब एक लोकतांत्रिक फ्रेमवर्क में करने का एक अतुलनीय अनुभव है जिसमें व्यक्तिगत अधिकारों की पूरी गारंटी है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत की आईटी प्रतिभाएं वैश्विक डिजीटल अर्थव्यवस्था बनाने में मददगार रहीं हैं। उन्होंने वाई2के समस्या का समाधान करने में मदद की। भारतीय प्रतिभाओं ने हमारे रोजमर्रा के जीवन में तकनीक एवं सेवाओं के उन्नयन में योगदान दिया है। आज हम पूरे विश्व को कोविन प्लेटफॉर्म मुफ्त देने एवं उसे ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर बनाने की पेशकश की है।
उन्होंने कहा कि क्रिप्टो करंसी या बिटक्वाइन के उदाहरण लें तो सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए एक साथ काम करने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि यह गलत हाथों में पड़कर दुरुपयोग में ना आये, इससे हमारे युवा बरबाद हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक देशों के लिए यह जरूरी है कि वे भविष्य की तकनीक पर मिल कर शोध एवं अनुसंधान करें तथा भरोसेमंद आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करें एवं साइबर तकनीक में सहयोग को बढ़ाएं।


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