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Dainik Vishwamitra

शुक्रवार १० मई २०२४

कोरोना के डर के बीच कुंभ में 33 लाख श्रद्वालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी



हरिद्वार। प्रत्येक 12 वर्ष बाद भारतवर्ष के 12 ज्योतिर्लिंग के गंगा तट पर क्रमशः आयोजित होने वाले महाकुम्भ में लगभग 138 वर्ष बाद पहली बार निर्धारित समय से एक वर्ष पूर्व अर्थात, 11 वर्षो बाद देवभूमि उत्तराखंड में सोमवारी अमावस्या पर द्वितीय शाही स्नान भव्यता के साथ शांति पूर्वक सम्पन्न हुआ। समाचार लिखे जाने तक टिहरी जनपद अंतर्गत, मुनि की रेती, देहरादून के ऋषिकेश से हरिद्वार जनपद अंतर्गत, हर की पैड़ी एवं समस्त घाटों पर समाचार लिखे जाने तक लगभग 33 लाख से अधिक श्रद्वालुओं ने गंगा स्नान कर पूण्य लाभ कमाया।
शाम छह बजे तक सरकारी तौर पर लगभग 31 लाख 23 हजार लोगों द्वारा पवित्र डुबकी लगाकर पुण्यलाभ अर्जित किया गया। हर की पैड़ी ब्रह्म कुंड पर जहाँ सभी अखाड़ों के साधु, सन्तों, नागाओं ने स्नान किया वहीं कुम्भ क्षेत्र के अन्य घाटों पर भारी संख्या में आम श्रद्धालुओं ने स्नान किया। अभी स्नान जारी है।
रविवार देर रात्रि 1200 बजे के बाद से ही हर की पैड़ी एवं अन्य घाटों पर स्नानार्थियों का आवागमन शुरू हो गया। जहां हरिद्वार जनपद की सीमा से श्रद्धालुओं के वाहनों के आने की संख्या बढ़ने लगी वहीं, पूर्व से मेला क्षेत्र के होटल, धर्मशालाओं, लॉज, आश्रमों में ठहरे हुए श्रद्धालु गंगा स्नान के लिये घाटों पर पहुंचने लगे। दिन निकलने पर सुबह सात बजे के बाद हर की पैड़ी को अखाड़ों के शाही स्नान के लिए साफ-सफाई के लिए आम श्रद्धालुओं से खाली करा लिया गया
यातायात एवं पार्किंग ड्यूटी पर तैनात पुलिस बल द्वारा यातायात योजना और उच्चाधिकारियों के निर्देशों के अनुसार ही वाहनों को निर्धारित पार्किंग तक पहुंचाया गया। जल्दी ही दक्षदीप, गौरीशंकर, दूधियाबन, मोतीचूर, धीरवाली में बनी मुख्य वाहन पार्किंग वाहनों से भरने लगी। पार्किंगों से श्रद्धालुओं को लाने ले जाने के लिए आवश्यकता अनुसार 262 शटल बसों का संचालन भी किया गया।
घाटों, गलियों तथा पैदल मार्ग पर लगे पुलिस बल द्वारा पैदल यातायात व्यवस्था का पालन सुनिश्चित कराते हुए स्नानार्थियों को पार्किंगों के नजदीकी स्नान घाटों तक पहुंचने में सहायता की गई। घाटों पर तैनात पुलिस बल द्वारा ‘03 डुबकी-01 स्नान’ सूत्र वाक्य को ध्यान में रखते हुए घाटों को लगातार खाली कराया जाता रहा और नए आने वाले स्नानार्थियों के लिये स्थान बनाया जाता रहा।
सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में मेले के दौरान कोविड सम्बंधित गाइड लाइन का पालन न करने वाले लगभग 83 लोगों का चालान भी किया गया। इस दौरान, अपराह्न तीन बजे तक हरिद्वार सीमा पर कुल 9678 व्यक्तियों की कोरोना जांच की गई। जिनमें कुल 26 व्यक्ति संक्रमित पाये गए। जबकि बिना कोरोना जांच कराए कुल 2758 व्यक्तियों और 357 वाहनों को वापस कर दिया गया।
स्नान पर्व की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने हेतु संपूर्ण मेला क्षेत्र को 09 सुपर जोन, 14 जोन एवम 23 सेक्टरों (01 जीआरपी तथा 01 यातायात के सेक्टर सहित) में बांटकर पुलिस बल की ड्यूटी लगाई गई। प्रत्येक सुपर जोन में प्रभारी अधिकारी के रूप में वरिष्ठ, पुलिस अधीक्षक, जोन में अपर पुलिस अधीक्षक और सेक्टरों में पुलिस उपाधीक्षक को नियुक्त किया गया। मुख्य यातायात व्यवस्था के अलावा नौ आपातकालीन यातायात योजनाएं भी बनाई गई। कोई भी आकस्मिक स्थिति आने पर तात्कालिक रूप से सहायता पहुंचाने के लिए निर्धारित मार्गों से अलग आठ प्रशासनिक मार्गो का भी चयन किया गया, जिन्हें हर समय अवरोध मुक्त रखा गया।
इसके अलावा सम्पूर्ण शाही स्नान जुलूस मार्ग के लिए अलग से पुलिस व्यवस्था बनाकर सम्पूर्ण जुलूस मार्ग की पुलिस व्यवस्था को सात सेक्टरों में बांटा गया तथा एक निरीक्षक स्तर के अधिकारी को होल्डअप्स प्रभारी नियुक्त किया गया।
शाही स्नान हेतु की गई अन्य पुलिस व्यवस्थाये की गईं। जिनमे अखाड़ो के साथ और अखाड़ा मार्ग पर जगह-जगह पर रस्सा फोर्स लगाई गई। मेला क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की विध्वंसक वस्तु अथवा अवैध अस्त्र-शस्त्र न ला सके इसके लिये विभिन्न स्थानों में अभिसूचना इकाई की 28 अलग-अलग टीमें हैंड हेल्ड मैटल डिटेक्टर और डोर फ्रेम मैटल डिटेक्टर सहित दिन-रात चैकिंग-फ्रिस्किंग और अभिसूचना संकलन का कार्य करती रही। मेले के दौरान संचार व्यवस्था चुस्त दुरुस्त बनाये रखने के लिए अखाड़ा, जीआरपी, पैरामिलिट्री एवं यातायात सहित 16 सब कंट्रोल रूम बनाये गए।
रेडियो संचार व्यवस्था के अतिरिक्त संचार पुलिस द्वारा सीसीटीवी कैमरों के नेटवर्क को संभालने का कार्य भी किया गया। मेला क्षेत्र में सतर्क दृष्टि बनाये रखने के लिये वर्तमान में मैपिंग किये गए 1150 निजी/ संस्थागत कैमरों के साथ-साथ 310 पुलिस कैमरों का प्रयोग भी किया गया। पुलिस कैमरों में 100 कैमरे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से लैस हैं। हरिद्वार बोर्डरों पर 10 एएनपीआर तकनीक से लैस कैमरे भी कार्यरत रहे। मेला हेल्पलाइन पर आने वाली कॉल पर तुरंत रिस्पांस के लिए लगातार पारियों में 24 घण्टे की ड्यूटी तैनात रही।
स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं के गंगा में पैर फिसल कर बहने और डूबकर मृत्यु होने की घटनाओं पर अंकुश लगाए जाने हेतु जल पुलिस, एसडीआरएफ और आपदा राहत दल की सम्मिलित ड्यूटी सभी आवश्यक उपकरणों और बोट सहित 20 संवेदनशील स्थानों पर तैनात रही। जल पुलिस के द्वारा अलग-अलग स्थानों पर कुल तीन लोगों (दो पुरुष, एक महिला) डूबने से बचाया गया। सादा वस्त्रों में जेबकतरी और उठाईगिरी रोकने के लिए सात टीमें तैनात रही।
 


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