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Dainik Vishwamitra

शनिवार ११ मई २०२४

ईडी ने बंगाल के मंत्री मलिक को राशन घोटाला में किया गिरफ्तार


कोलकाता, 27 अक्टूबर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल के वन मंत्री व सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिप्रिय मलिक को राज्य में करोड़ों रुपये के कथित राशन वितरण घोटाले में 23 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद शुक्रवार तड़के उनके आवास से गिरफ्तार किया।
तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के 2011-21 के पहले दो कार्यकालों में राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य करने वाले तृणमूल के वरिष्ठ नेता मलिक को बाद में बैंकशाल अदालत ने 14 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया।
मलिक लंबे समय से मुख्यमंत्री के सहयोगी रहे हैं और पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं। उन्हें छह नवंबर को फिर से अदालत में पेश किया जाएगा। हिरासत में भेजे जाने की घोषणा के बाद मलिक बैठ गए और बेहोश हो गए।
मलिक के वकील के अनुसार, उन्हें दक्षिण कोलकाता के कमांड अस्पताल ले जाया जाएगा और उन्हें घर का खाना खाने की अनुमति दी जाएगी। हावड़ा के विधायक डायबिटीज के मरीज हैं और उन्हें किडनी की भी समस्या है।
ईडी के अधिकारियों ने श्री मलिक से गुरुवार सुबह छह बजे कोलकाता के साल्ट लेक स्थित उनके आवास पर लंबी पूछताछ की और बाद में गिरफ्तार करने के बाद शुक्रवार तड़के लगभग तीन बजकर 20 मिनट पर उन्हें सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित एजेंसी के कार्यालय ले गए।
अपनी गिरफ्तारी के तुरंत बाद मलिक ने भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी पर साजिश रचने का आरोप लगाया। ईडी के अधिकारियों द्वारा उनके आवास से बाहर ले जाने के दौरान उन्होंने कहा कि मैं ‘गहरी साजिश’ का शिकार हुआ हूं।
ईडी ने फिरोज एडुल्जी को अपना वकील नियुक्त किया है जो पिछले वर्ष कथित नौकरी के बदले नकद घोटाले में हाई प्रोफाइल मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के दौरान पेश हुए थे। सूत्रों ने कहा कि साल्ट लेक क्षेत्र में मलिक के दो फ्लैटों और उनके करीबी सहयोगी अमित डे के दो फ्लैटों और एक घर में एक साथ छापे मारे गए, साथ ही तीन अन्य स्थानों पर भी छापे मारे गए।
सूत्रों ने दावा किया कि राशन वितरण प्रणाली में कथित अनियमितताओं में धन के लेन-देन की जांच कर रहे ईडी को जानकारी प्राप्त हुई है कि मामले में पहले गिरफ्तार किए गए व्यवसायी बकीबुर रहमान का बंगाल, मुंबई और यहां तक कि दुबई में भी लगभग 100 करोड़ रुपये का कारोबार है।
सूत्रों के अनुसार, राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री के रूप में मलिक के कार्यकाल के दौरान बकीबुर रहमान के मंत्री के साथ संबंध थे। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में जीत प्राप्त कर तृणमूल के सत्ता में फिर से आने के बाद, मलिक को वन विभाग का मंत्रालय दिया गया और उन्हें गैर-पारंपरिक एवं नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का पोर्टफोलियो भी सौंपा गया।
ईडी ने कुछ महीने पहले मौजूदा खाद्य मंत्री रथिन घोष के आवास पर छापा मारा था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को मलिक के घर पर ईडी की छापेमारी को भाजपा द्वारा अधिनायकवादी शासन के किसी भी विरोध को दबाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करार दिया।
दूसरी ओर, राज्य के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को कथित राशन वितरण घोटाले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भूमिका की जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि में ईडी से पश्चिम बंगाल राशन वितरण घोटाले में ममता बनर्जी की भूमिका की जांच करने का आग्रह करता हूं।
अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री बनर्जी ने 2021 में ज्योतिप्रिय मलिक को खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का मंत्री नियुक्त नहीं किया क्योंकि 2011 से 2021 तक खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में एक दशक तक भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार उन्हें केंद्रीय जांच एजेंसियों से बचाना चाहती थी।
अधिकारी ने कहा, “हालांकि, वह चाहती थी कि वह अवैध रूप से धन जुटाता रहे और आय का हिस्सा इच्छित व्यक्तियों को सौंपते रहें। इसलिए ममता ने उन्हें पश्चिम बंगाल आवश्यक वस्तु आपूर्ति निगम (डब्ल्यूबीईसीएससी) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया; जिस कंपनी को पश्चिम बंगाल में धान और अन्य खाद्यान्नों की खरीद और वितरण का काम सौंपा गया है।”
उन्होंने कहा,“वह केवल इतने में ही नहीं रुकी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि धन का गबन सुचारू रूप से और कुशलतापूर्वक हो सके, उन्होंने ए. सुब्बैया को नियुक्त किया; एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, जिन्हें ज्योतिप्रिय मलिक की सुविधा के लिए पश्चिम बंगाल आवश्यक वस्तु आपूर्ति निगम (डब्ल्यूबीईसीएससी) का एमडी नियुक्त किया गया है।”
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि राशन घोटाले का सरगना आखिरकार पकड़ा गया, सच्चाई की हमेशा जीत होगी।
इसबीच पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पीडीएस में कथित अनियमितता एक बड़ा घोटाला है और यह एक संगठित लूट है जिसने राज्य के गरीब लोगों को बहुत प्रभावित किया है। उन्होंने दावा किया कि एफसीआई की अच्छी गुणवत्ता वाला चावल बाजार में बेच दिया गया और खराब गुणवत्ता वाला चावल पीडीएस में दिया गया।


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