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Dainik Vishwamitra

शुक्रवार १० मई २०२४

सरदार पटेल होते तो गोवा को मुक्ति के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता: मोदी




पणजी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि यदि देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल कुछ और समय जीवित रहते तो गोवा को अपनी मुक्ति के लिए इतना इंतजार नहीं करना पड़ता।
श्री मोदी ने रविवार को यहां गाेवा मुक्ति दिवस समारोह में शामिल होने के बाद एक आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गोवा ने अपने इतिहास में न जाने कितनी उठा पटक और सियासी तूफान देखे लेकिन वह अपनी भारतीयता को नहीं भूला और न हो भारत गोवा को भूला।
गोवा को प्रकृति की अनुपम देन करार देते हुए उन्होंने कहा,“ गोवा की धरती को, गोवा की हवा को, गोवा के समंदर को, प्रकृति का अद्भुत वरदान मिला हुआ है और आज सभी का, गोवा के लोगों का ये जोश, गोवा की हवाओं में मुक्ति के गौरव को और बढ़ा रहा है।”
भारत के हिस्से के रूप में गोवा के गहरे जुड़ाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “ गोवा एक ऐसे समय में पुर्तगाल के अधीन गया था जब देश के दूसरे बड़े भू-भाग में मुगलों की सल्तनत थी। उसके बाद कितने ही सियासी तूफान इस देश ने देखे, सत्ताओं की कितनी उठक पटक हुई। लेकिन समय और सत्ताओं की उठापटक के बीच सदियों की दूरियों के बाद भी न गोवा अपनी भारतीयता को भूला, न भारत अपने गोवा को भूला। ये एक ऐसा रिश्ता है जो समय के साथ और सशक्त ही हुआ है।
पुर्तगाल से आजादी के लिए गोवा के लोगों की ललक और तड़प का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “ गोवा के लोगों ने मुक्ति और स्वराज के लिए आंदोलनों को थमने नहीं दिया। उन्होंने भारत के इतिहास में सबसे लम्बे समय तक आज़ादी की लौ को जलाकर रखा।”
उन्होंने कहा, “आज मैं इस अवसर पर ये भी कहूंगा कि अगर सरदार पटेल साहब, कुछ वर्ष और जीवित रहते, तो गोवा को अपनी मुक्ति के लिए इतना इंतजार नहीं करना पड़ता।”
श्री मोदी ने कहा कि गोवा के दिल में भारत से जुड़ाव की ललक इसलिए थी, “ क्योंकि, भारत सिर्फ एक राजनीतिक सत्ता भर नहीं है। भारत मानवता के हितों की रक्षा करने वाला एक विचार है, एक परिवार है। भारत एक ऐसा भाव है जहां राष्ट्र ‘स्व’ से ऊपर होता है, सर्वोपरि होता है। जहां एक ही मंत्र होता है- राष्ट्र प्रथम। जहां एक ही संकल्प होता है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत।”
गोवा की मुक्ति के लिए प्राणों की बाजी लगाने वाले शहीदों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह तड़प गोवा के साथ साथ भारत में भी उतनी ही थी। उन्होंने कहा , “ गोवा मुक्ति विमोचन समिति के सत्याग्रह में 31 सत्याग्रहियों को अपने प्राण गँवाने पड़े थे। आप सोचिए, इन बलिदानियों के बारे में, पंजाब के वीर करनैल सिंह बेनीपाल जैसे वीरों के बारे में इनके भीतर एक छटपटाहट थी क्योंकि उस समय देश का एक हिस्सा तब भी पराधीन था, कुछ देशवासियों को तब भी आज़ादी नहीं मिली थी।”
गोवा की प्राकृतिक सुंदरता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह इस राज्य की पहचान रही है और मौजूदा सरकार इस पहचान को और सशक्त कर रही है। उन्होंने कहा कि अब गोवा अनेक मामलों में अव्वल है। इसके लिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को श्रेय देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने न केवल गोवा को विकास की नई ऊंचाई तक पहुंचाया, बल्कि गोवा की क्षमता का भी विस्तार किया। उन्होंने कहा,“गोवा के लोग कितने ईमानदार होते हैं, कितने प्रतिभावान और मेहनती होते हैं, देश गोवा के चरित्र को मनोहर जी के भीतर देखता था। आखिरी सांस तक कोई कैसे अपने राज्य, अपने लोगों के लिए लगा रह सकता है, उनके जीवन में हमने ये साक्षात देखा था।”
अपनी इटली और वैटिकन सिटी की यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने पोप फ्रांसिस से मुलाक़ात का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा,“ भारत के प्रति उनका भाव भी वैसा ही अभिभूत करने वाला था। मैंने उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित भी किया । मेरे निमंत्रण के बाद पोप फ्रांसिस ने कहा था आपने मुझे यह बहुत बड़ा तोहफा दिया है। ये भारत की विविधता, हमारी ब्राइब्रेंट डेमोक्रेसी के प्रति उनका स्नेह है।”
इससे पहले श्री मोदी ने आज़ाद मैदान में शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। शहीदों को नमन के बाद वह मीरामर में सेल परेड और फ़्लाइ पास्ट के भी साक्षी बने। उन्होंने ऑपरेशन विजय के वीरों और भूतपूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया।


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