ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय नौसेना की ताकत से कांपा पाकिस्तान
भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत तीनों सेनाओं ने मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ व्यापक सैन्य तैयारी की थी। भारतीय नौसेना ने अरब सागर में अपनी ताकत का ऐसा प्रदर्शन किया कि पाकिस्तान की नौसेना अपने बंदरगाहों तक सिमट कर रह गई। समुद्र के रास्ते भारत पर हमले की कोई कोशिश नहीं की गई क्योंकि पाकिस्तान जानता था कि उसकी हर हरकत का जवाब भारी कीमत पर मिलेगा।
भारतीय नौसेना ने अपने अत्याधुनिक युद्धपोतों, पनडुब्बियों और एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ समुद्र में गश्त बढ़ा दी थी। ब्रह्मोस मिसाइलों और अत्याधुनिक हथियारों से लैस INS विक्रांत जैसे एयरक्राफ्ट कैरियर और INS तलवार जैसे युद्धपोत पाकिस्तान की सीमा के बेहद करीब मौजूद थे। इनकी मौजूदगी से कराची जैसे संवेदनशील ठिकाने सीधे भारतीय हमले के दायरे में आ चुके थे।
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद ही भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी थी। सभी पोत अटैक पोजिशन में आ चुके थे और पाकिस्तानी नौसेना पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही थी। स्थिति ऐसी थी कि अगर भारत चाहता, तो कराची में मिसाइलों की बारिश हो सकती थी।
23 अप्रैल के बाद से भारतीय नौसेना की गतिविधियों में तेजी आ गई थी। पश्चिमी नौसैनिक कमान ने पाकिस्तान के खिलाफ समंदर में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी थी। ऑपरेशन सिंदूर की योजना बेहद गुप्त रूप से बनाई गई थी। सभी पोत और सबमरीन हमले के लिए पूरी तरह तैयार थे। पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश था: अगर उसने कोई दुस्साहस किया, तो उसका जवाब तबाही के रूप में मिलेगा।
भारतीय नेवी ने इस दौरान अपने घातक हथियारों के परीक्षण भी किए, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी हमले की स्थिति में प्रतिकार तत्काल और निर्णायक हो। पाकिस्तान की नौसेना भारतीय ताकत के सामने बैकफुट पर आ गई थी और अपनी सीमाओं के भीतर ही सिमट कर रह गई थी।
INS विक्रांत, जो भारतीय नौसेना का प्रमुख एयरक्राफ्ट कैरियर है, पाकिस्तान के समीप भेजा गया था। इसमें MiG-29K फाइटर जेट, Ka-31 हेलीकॉप्टर, और दर्जनों बराक मिसाइलें तैनात रहती हैं। इसके साथ ही विध्वंसक युद्धपोत भी सीमा के करीब तैनात किए गए थे, जिनमें ब्रह्मोस और बराक-8 मिसाइलें शामिल थीं। INS तलवार जैसे स्टील्थ युद्धपोत भी पाकिस्तान की निगाहों के सामने तैनात थे, जो किसी भी हमले के लिए तैयार थे।
भारतीय नौसेना के अनुसार, "हम समुद्र और जमीन दोनों पर हमला करने की पूरी क्षमता रखते हैं। कराची जैसे महत्वपूर्ण लक्ष्य हमारे निशाने पर हैं, और हम किसी भी समय, अपनी शर्तों पर कार्रवाई कर सकते हैं।"
भारतीय नौसेना पहले भी कराची पर निर्णायक हमला कर चुकी है। 4 दिसंबर 1971 को कराची बंदरगाह पर हुए ऐतिहासिक हमले में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के तीन युद्धपोत और कई सप्लाई जहाजों को नष्ट कर दिया था। इस हमले में कराची के तेल डिपो में लगी आग को एक सप्ताह तक नहीं बुझाया जा सका था। उस युद्ध की स्मृति आज भी पाकिस्तान के लिए एक सबक है।
इस बार भी यदि पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई की होती, तो समुद्र से दागी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइलें उसके लिए विनाश का कारण बन सकती थीं। ये मिसाइलें उसके बंदरगाहों और तेल डिपो को पूरी तरह खत्म कर सकती थीं। हालांकि नौसेना को हमला करने की जरूरत नहीं पड़ी। पाकिस्तान ने भारत की ताकत का अंदाजा लगाकर सीजफायर की मांग कर दी और खुद ही पीछे हट गया।