उत्तराखंड : जंगलों में रुक नहीं रहा आग का तांडव, वन विभाग ने बुझाने में लगाई ताकत >>>>>>>>> राज्यपाल ने राजभवन परिसर में पुलिस के प्रवेश पर लगाई रोक, वित्त मंत्री चंद्रिमा पर भी लगा 'प्रतिबंध' >>>>>>>>> माध्यमिक परीक्षा में जिलों ने मारी बाजी, कूचबिहार का चंद्रचूड़ टॉपर >>>>>>>>> टीएमसी ने कुणाल घोष लिया एक्शन, महासचिव पद से हटाया
Dainik Vishwamitra

शुक्रवार १० मई २०२४

परेड में आए ट्रैक्टर-ट्रालियों की शुरू हुई वापसी



सोनीपत। हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर से हजारों किसान परेड में शामिल होने के बाद बुधवार को घरों को लौट गए। वह बात अलग है कि धरना स्थल पर अभी भी हजारों किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ डटे हुए हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने लाल किला की घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इससे अपना पल्ला झाड़ लिया है। किसान नेताओं ने इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सरकार से कड़ी कार्रवाई करने की मांग भी की है।
कुंडली बॉर्डर पर 26 नवंबर 2020 से हजारों किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। धीरे-धीरे धरना स्थल पर किसानों की संख्या बढ़ती चली गई। बाद में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड की घोषणा के बाद 23 जनवरी से धरना स्थल पर किसानों और ट्रैक्टरों का जमावड़ा तेजी से बढ़ना शुरू हो गया। आलम यह था कि 25 जनवरी को यह जमावड़ा करीब 18 किलोमीटर तक फैल गया। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-44 पर जगह न मिलने के बाद कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) और कुंडली- गाजियाबाद-पलवल (केजीपी) के दोनों और करीब 5 किलोमीटर तक हजारों ट्रैक्टर खड़े हो गए।
मंगलवार यानी 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड का सिलसिला शुरू होने के बाद शाम तक चलता रहा और दिल्ली से वापसी का सिलसिला देर रात तक चला। खास तौर पर ट्रैक्टर परेड में शामिल होने वाले किसानों ने बुधवार सुबह घरों की ओर वापसी शुरू कर दी। शाम होते-होते किसानों का जो जमावड़ा बहालगढ़ तक फैल गया था, वह अब फिर से रसोई गांव के पास तक करीब आठ किलोमीटर के दायरे में सिमट गया।
आज दिन भर कुंडली बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की सभाओं का दौर चलता रहा और सबने एक स्वर में लाल किले की घटना की जमकर निंदा की। साथ ही इस घटना से अपना पल्ला झाड़ लिया।किसान नेताओं ने कहा कि हम शांतिपूर्ण आंदोलन के कारण ही हम तीन कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर लगातार सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब हुए थे, लेकिन दिल्ली में हिंसा और उपद्रव ने हमें शर्मसार किया है। कुछ लोगों ने लाल किले पर निशान साहिब का झंडा फहराया है, जो बेहद गलत है। पंथ का झंडा वहां नहीं फहराना चाहिए था। वह जगह केवल देश की आन-बान-शान तिरंगे की ही है।
किसान संगठनों ने इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सरकार से कार्यवाही करने की मांग की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने पूरी घटना से पल्ला झाड़ते हुए आंदोलन को शांतिपूर्ण बताया और जारी रखने की घोषणा की। (वार्ता)


भारत