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Dainik Vishwamitra

शनिवार ११ मई २०२४

मोदी ने नेताजी की जयंती पर उन्हें नमन किया



नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी 125 वीं जयंती पर नमन किया है तथा श्रद्धांजलि अर्पित की है। श्री मोदी ने शनिवार को टि्वट किया, “ महान स्वतंत्रता सेनानी और भारत माता के सच्चे सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी जन्म-जयंती पर शत-शत नमन। कृतज्ञ राष्ट्र देश की आजादी के लिए उनके त्याग और समर्पण को सदा याद रखेगा।”
सरकार ने निर्णय लिया है कि नेताजी की जयंती को देश भर में हर वर्ष पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जायेगा। श्री मोदी खुद आज कोलकाता में पराक्रम दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित करेंगे।
इससे पहले शुक्रवार को भी उन्होंने नेताजी की जयंती की पूर्व संध्‍या पर सिलसिलेवार टि्वट कर कहा था, “ कल, भारत के महान नेता नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाएगा। देश भर में आयोजित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों में से एक विशेष कार्यक्रम गुजरात के हरिपुरा में आयोजित किया जा रहा है। दोपहर 1 बजे शुरू हो रहे कार्यक्रम में शामिल होइये। ”
उन्होंने कहा था कि हरिपुरा का नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस के साथ एक विशेष संबंध रहा है। 1938 के ऐतिहासिक हरिपुरा अधिवेशन में नेताजी बोस ने कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद संभाला था। हरिपुरा में कल का कार्यक्रम हमारे राष्ट्र के लिए नेताजी बोस के योगदान को एक श्रद्धांजलि होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा , “ नेताजी बोस की जयंती की पूर्व संध्या पर, मेरा मन 23 जनवरी 2009 का दिन याद करता है- जब हमने हरिपुरा से ई-ग्राम विश्वग्राम परियोजना शुरू की थी। इस पहल ने गुजरात के आईटी बुनियादी ढांचे में क्रांति ला दी और राज्य के सुदूरवर्ती भागों के गरीब लोगों को प्रौद्योगिकी का लाभ मिला। मैं हरिपुरा के लोगों के स्नेह को कभी नहीं भूल सकता, जो मुझे उसी सड़क पर एक विस्तृत जुलूस के माध्यम से ले गए, जिस सड़क पर नेताजी बोस 1938 में गए थे। उनके जुलूस में एक सजा हुआ रथ शामिल था जिसे 51 बैलों ने खींचा था। मैंने उस जगह का भी दौरा किया जहाँ नेताजी हरिपुरा में रुके थे।”
श्री मोदी ने कहा , “ ईश्‍वर करे कि नेताजी सुभाष चन्‍द्र बोस के विचार और आदर्श हमें एक ऐसे भारत के निर्माण की दिशा में काम करने की प्रेरणा प्रदान करें, जिस पर उन्हें गर्व होगा ... एक मजबूत, आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर भारत, जिसका मानव-केंद्रित दृष्टिकोण आने वाले वर्षों में एक बेहतर ग्रह के निर्माण में योगदान देगा।” (वार्ता)


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