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Dainik Vishwamitra

शनिवार ११ मई २०२४

विधि आयोग ने राजद्रोह कानून को बरकरार रखने की सिफारिश की




विधि आयोग ने सिफारिश की है कि राजद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-124ए को बरकरार रखने की जरूरत है, हालांकि इसके इस्तेमाल के बारे में अधिक स्पष्टता के लिए कुछ संशोधन किए जा सकते हैं।रिपोर्ट में बताया गया कि इसे निरस्त करने से देश की अखंड़ता और सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है. अक्सर ये कहा जाता है कि राजद्रोह का अपराध एक औपनिवेशिक विरासत है जो उस युग (अंग्रेजों के जमाने) पर आधारित है जिसमें इसे अधिनियमित किया गया था. विशेष रूप से भारत के स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ इसके उपयोग के इतिहास को देखते हुए ये बात कही जाती है, लेकिन ऐसे में तो भारतीय कानूनी प्रणाली का संपूर्ण ढांचा एक औपनिवेशिक विरासत है. आयोग का यह भी कहना है कि किसी प्रविधान के दुरुपयोग का कोई भी आरोप उस प्रविधान को वापस लेने का आधार नहीं हो सकता। साथ ही औपनिवेशिक विरासत होना भी इसे वापस लेने का वैध आधार नहीं है। रिपोर्ट में आयोग का कहना है कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसे कानून अपराध के उन सभी तत्वों को कवर नहीं करते, जिनका वर्णन आईपीसी की धारा-124ए में किया गया है।


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