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Dainik Vishwamitra

रविवार १२ मई २०२४

दिल का दौरा पड़ने से मौत के आंकड़े कोरोना से मरने वालों की संख्या से ज्यादा है




नयी दिल्ली । विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो वर्षाें के दौरान वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से हुई मौतों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने से मरने वालों की संख्या कहीं अधिक है।
मलेशिया स्थित लिंकन विश्वविद्यालय कॉलेज के न्यूट्रीशनिस्ट और हेल्थ एजुकेटर मानस सरथ ने यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि कोरोना महामारी में वायरस से पांच लाख लोगों के मौत को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है लेकिन दिल का दौरा पड़ने से होने वाली मौतों के आंकड़ें इससे कहीं ज्यादा भयावह है। उन्होंने कहा कि दिल का दौरा पड़ने से हर साल देश में 30 लाख से अधिक लोगों की मौत होती है, यानी उक्त अवधि में 60 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है।
इस हिसाब से देश भर में हर रोज नौ से 10 हजार से अधिक लोगों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हो जाता है। यानी यदि हर दिन चार लोगों की विभिन्न कारणों से मौत होती है तो उनमें से एक की मौत दिल का दौरा पड़ने से हो जाती है।
श्री सरथ ने कहा कि भारत में 25 से 30 फीसदी मौतें दिल का दौरा पड़ने से होती हैं यानी हर चार में से एक मौत दिल का दौरा पड़ने से होती है। इनमें 50 फीसदी से ज्यादा मौतें 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों की होती है। इसके अलावा 25 प्रतिशत से अधिक मौतें 40 साल से कम उम्र के लोगों की होती हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे शर्मनाक बात यह है कि पूरे विश्व के देशों की तुलना में भी दिल का दौरा पड़ने के सबसे अधिक मरीज भी भारत के ही हैं। विश्व में हॉर्ट अटैक के करीब 10 करोड़ मामलों में लगभग छह करोड़ मामले भारत में ही हैं। उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि दिल का दौरा पड़ने के बाद अधिकांश मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। चिंताजनक बात यह है कि इस बीमारी की चपेट में आने वाला युवा वर्ग भी है।
उन्होंने कहा कि यह भी एकतरह से अपवाद है कि खेल-कूद या जिम में जाने वाले अथवा नाचने-गाने तथा पौष्टिक आहर लेने वाले लोग भी इससे अछूते नहीं हैं। इस क्रम में क्रिकेट खिलाड़ी कपिलदेव (62), पूर्व कप्तान सौरव गांगुली (49) और नृत्य कलाकार रेमो डिसूजा (47) भी शामिल हैं जो हॉर्ट अटैक के शिकार हो चुके हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक हॉर्ट अटैक या उसके बाद भी तीन तरीकों से इस बीमारी से जूझा जा सकता है। न्यूट्रीशन पैथ में लाल मिर्च या पानी के साथ उसका पाउडर खाने की सलाह दी जाती है। बताया जाता है कि महज 60 सेकंड में मिर्च नुख्शा कारगर असर करता है। यह ना केवल रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाता है बल्कि इसका केमिकल खून के थक्के को भी जमने से रोक देता है।
होमियोपैथी विशेषज्ञों के मुताबिक 99 फीसदी दिल का दौरा तड़के 2.30 बजे से चार बजे के बीच पड़ता है। इनका दावा है कि महज 10 रुपये में आने वाली एकोनाइट 200 की एक छोटी शीशी से 100 लोगों की जान बचायी जा सकती है। इस दवा की एक-एक बूंद पांच से सात मिनट के अंतराल पर एक दिन में तीन बार अपनी जीभ पर लेनी है। तीन बूंद से अधिक दवा एक दिन में नहीं लेनी है।
वहीं एलोपैथी विशेषज्ञों का मानना है कि महज 25 रुपये खर्च कर हॉर्ट अटैक के मरीज को ठीक किया जा सकता है लेकिन इसके लिए तीन दवाओं को एक साथ खाना होगा। एसपीरीन 325 मिलीग्राम (मिग्रा) एक दवा, क्लोपिडोग्रेल 75 मिग्रा दो टैब और एटाेरवस्टाटिन 80 मिग्रा एक टैब खाने का रामबाण असर होता है। इससे भी लोगों की मौत को रोका जा सकता है।


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